दिल्ली प्रदूषण का मौसम

दिल्ली में प्रदूषण एक मौसम की तरह हो गया है जो हर साल नवम्बर के महीने से शुरू होता है और जैसे-जैसे ये बढ़ता जाता है वैसे-वैसे मीडिया इसके बारे में टीवी पे दिखना चालू कर देते हैं नेता अपनी नेतागिरी करते है स्कूल, दफ्तर आदि को बंद कर दिया जाता है लोग मास्क पहना चालू कर देते इस बार तो कोरोना ने पहले ही लोगो को मास्क पहना दिया हैं। लोग सरकार पे और सरकार पडोसी राज्य पे आरोप लगाती है धीरे-धीरे गर्मी आने लगती है और सब लोग शांत हो जाते है ओर ये त्यौहार खत्म हो जाता है लेकिन इस बीच इसका कोई हल नहीं निकल पाता। हर साल की तरह इस साल भी ये मौसम आने वाला हैं अब नवम्बर के आने में कम दिन रह गए हैं किसान अपनी पराली को जलाना शुरू कर चुके धीरे-धीरे ये धुंआ दिल्ली में उठ के आने लगेगा ओर ये पूरा चक्र फिर से शुरू हो जाएगा

दिल्ली में प्रदूषण का कारण 

दिल्ली में प्रदूषण होने का एक मुख्य कारण है पंजाब और हरियाणा में पराली(Stubble) का जलाना। हर साल इन राज्यों में किसान फसल काटने के बाद बची हुई पराली को को जला देते हैं क्यूंकि सरकार इनसे होने वाले नुकसान की भरपाई उन्हें नहीं देती हैं किसान को फिर कोई ओर रास्ता नहीं दिखता इसको जलाने के अलावा ताकि वो अगली फसल उगा सके। पराली के जलने के बाद इससे निकला धुंआ दिल्ली में जाता है ओर दिल्ली में आके ये धुंआ रुक सा जाता हैं । 2016-18 तक इसमें कुछ कमी आई थी लेकिन 2019 में पंजाब ओर हरियाना में इसमें 40 % की बढ़ोतरी हुयी हैं।


पराली की जलने की समस्या 1990 से शुरी हुयी इससे पहले लोग फसल की कटाई हाथो ओर फसल कटाई करने वाले औज़ारों से करते थे लेकिन 1990 से  यांत्रिक कटाई मशीनें(mechanical harvesting machines) आने लगी जो फसल कम समय मैं काट तो देती थी लेकिन फसल की 2 फीट लम्बी डंठल या पराली छोड़ देती जिसे किसान को उखाड़वाने में ज्यादा कीमत ओर मेहनत लगती थी इसलिए किसान इसे जलाने लगे। लेकिन ये 2009 से ये ज्यादा बढ़ने लगी क्यूंकि पंजाब और हरियाणा में पानी को बचाने के लिए एक कानून को पारीत किया चूंकि चावल की खेती में पानी का बहुत इस्तेमाल किया जाता हैं इसलिए ये कानून लागू किया गया की 2 जून(Monsoon season ) से पहले कोई किसान फसल की बुआई (sowing) नहीं कर सकते। जब किसान बुआई को देर से करेगा तो उन्हे कटाई भी देर से करनी पड़ेगी और अगली फसल के बीच का समय भी कम हो गया इसलिए किसान पराली को जलाने लगे ताकि वो अगली फसल जल्दी उगा सके।

दिल्ली मैं प्रदूषण होने का ओर भी कई कारण हैं जैसे दिल्ली की जनसंख्या। दिल्ली दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला शहर हैं इसकी जनसंख्या 3 करोड़ के करीब जिसकी वजह से दिल्ली में वाहनो का भी बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता हैं जिससे निकले धुंए के कारण हवा प्रदूषित होती हैं ओर ज्यादा आबादी के कारण दिल्ली में निर्माण(construction) का भी काम ज्यादा होता हैं जिससे धूल के कण(dust particles) हवा में मिल जाते हैं जिससे हवा प्रदूषित हो जाती हैं।  


सरकार द्वारा उठाए गए कदम 

1998 में सरकार ने दिल्ली एन.सी.आर.(NCR) के लिए प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (EPCA) बनाया जो पुरे देश में सिर्फ दिल्ली एनसीआर मैं प्रदुषण को कम करने पे ध्यान देगा।

सरकार ने दिल्ली में अधिकतर बसों और रिक्शाओं को पेट्रोल ओर डीजल से सी.एन.जी (CNG) में तबदील किया।

ओड-इवन (Odd-Even) को लागु किया गया। जो की काफी हद तक ठीक था लेकिन ये भी इसका हल नहीं था।

2017 सरकार ने वायु प्रदूषण और ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) को लागु किया जिसमे दिल्ली में वायु प्रदूषण के अलग-अलग स्तर पे अलग-अलग कानूनो को लागू किया जाएगा।


पंजाब और हरियाणा की सरकार पराली को जलाने वालो के खिलाफ 5 हजार प्रति एकड़ का जुर्माना लगाया लेकिन ये कानून काम नहीं आया क्यूंकि किसानो को 5 हजार प्रति एकड़ जुर्माना देना ज्यादा फायदे मंद लगा पराली को मजदूरो द्वारा उखड़वाने से।  

सरकार ने हर राज्य में बायोमास प्लांट (Biomass Plant ) बनाने का प्लान बनाया जिसमे पराली को जलाने के बजाये उसे बायोमास प्लांट में डाले जाए जिससे बिजली पैदा की जाएगी लेकिन ये भी अच्छे से लागू नहीं किया गया।

निष्कर्ष

दिल्ली में प्रदूषण को रोकना है तो प्रदूषण के बढ़ने से पहले ही उसे रोकने के बारे में सोचना होगा जैसे अभी, इस वक़्त किसान अपनी पराली जलाना शुरू कर चुके हैं अगर अभी सरकार पराली को जलने से नहीं रोक पाई तो इस साल दिल्ली में कोरोना ओर प्रदूषण दोनों लोगो को काफी बीमारी देंगे। पराली को जलाये बिना भी कई तरीको से खतम किया जा सकता हैं जैसे हैप्पी सीडर मशीन (Happy seeder machine)  का इस्तेमाल करना। इस बार दिल्ली सरकार ने भी कई कदम उठाए हैं 15 अक्टूबर से डीजल से चलने वाले जेनरेटर पे पाबंदी लगा दी हैं पूसा रीसर्च ने एक कैप्सूल तैयार की हैं जिसे पानी में घोलने के बाद अगर उसे पराली पे छिड़का जाएगा तो पराली नष्ट हो जाएगी दिल्ली की सरकार ने इसे 7 अक्टूबर से बनाना शुरू कर दिया हैं। लेकिन ये सिर्फ दिल्ली में करने से कुछ नहीं होगा क्यूंकि धुंआ बाकि पडोसी राज्यों से भी आता जिसमे पंजाब ने ये कहा हैं की वो इस कैप्सूल पे जब तक काम शुरू नहीं करेगा जब तक पंजाब कृषि विश्वविद्यालय(Punjab Agricultural University) इस पे मंजूरी ना दे। 
      हमें भी मीडिया पे जोर देना चाहिए ताकि वो इन जरूरी मुद्दों को टीवी पे दिखाये ताकि सरकार अपना काम अच्छे से करे अगर सरकार पराली को जलने से पहले ही रोक ले दिल्ली में प्रदूषण को काफी हद तक रोका जा सकता बाकी बात की जाए गाड़ी और निर्माण कार्यो द्वारा फैले प्रदूषण की तो उन्हें दिल्ली सरकार ने पिछले साल भी काफी हैद तक कम कर लिया था और पटाको पे पाबंदी लगा के भी उनसे फैलने वाले प्रदूषण को भी काफी कम कर दिया था।    


By
Shahnawaz Hussain

Comments

  1. I agree with your view that pollution starts from the month of November and it very harmful but still we ignore it

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  2. yes exactly... I do agree...👍🏼

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  3. Air pollution ke sabse bade reason ye h ki north india me koi forest nhi h

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